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किसी भी विषय पर एक केंद्रित विधि से कार्यवाही करने के लिए योजना और नीतियाँ बनाने तथा कार्यक्रम विकसित करने के लिए सटीक और विश्वसनीय डेटा आवश्यक है। यह दिव्यांग व्यक्तियों के आंकड़ों के बारे में सत्य है। सांख्यिकीय जानकारी न केवल सटीक होनी चाहिए, यह अप्रचलित होने से पहले एक उचित स्वीकार्य समय सीमा के भीतर भी उपलब्ध होनी चाहिए। यह भी आवश्यक है कि प्रभावी हस्तक्षेप और वांछित परिणामों के लिए डेटा में दिव्यांगता के प्रकार, आयु प्रोफ़ाइल, ग्रामीण और शहरी वितरण, शिक्षा, रोजगार की स्थिति आदि जैसी विस्तृत जानकारी शामिल हो। 

दिव्यांगता पर डेटा का संग्रह 1872 में हुई पहली भारतीय जनगणना से है। 1931 तक, इसे दुर्बलता के रूप में जाना जाता था। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) ने जुलाई, 1959 से जून, 1960 के दौरान 15वें दौर में दिव्यांग व्यक्तियों की संख्या पर डेटा एकत्र करने का पहला प्रयास किया। हालांकि, उन आंकड़ों में आवश्यक विवरण नहीं थे, न ही यह एक नियमित कार्यक्रम था।

1881 और 1931 के दौरान प्रति 1 लाख जनसंख्या पर दुर्बलता दर 228 से 369 के बीच थी अर्थात जनसंख्या का लगभग 0.23 प्रतिशत से 0.37* प्रतिशत। दुर्बलताओं में पागलपन, बहरा-गूंगापन, अंधापन और कुष्ठ रोग शामिल थे।

भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त (आरजी और सीसीआई) ने 2001 और 2011 की जनगणना में दिव्यांगता की स्थिति पर प्रश्न शामिल किया था। 2011 की जनगणना के निष्कर्षों का सारांश निम्नानुसार है : -

भारत में 121 करोड़ की आबादी में से 2.68 करोड़ व्यक्ति 'दिव्यांग' हैं जो कुल जनसंख्या का 2.21% है।

 

 

2011 में भारत की जनसंख्या 

2011 में भारत में दिव्यांग व्यक्ति 

व्यक्ति 

पुरुष 

महिलाएँ 

व्यक्ति 

पुरुष 

महिलाएँ 

121.08 करोड़

62.32 करोड़

58.76 करोड़

2.68 करोड़

1.5 करोड़

1.18 करोड़

 

  • दिव्यांग जनसंख्या में 56% (1.5 करोड़) पुरुष हैं और 44% (1.18 करोड़) महिलाएँ हैं। कुल जनसंख्या में पुरुष और महिला जनसंख्या क्रमशः 51% और 49% है।
  • दिव्यांग जनसंख्या में अधिकांश (69%) ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं (ग्रामीण क्षेत्रों में 1.86 करोड़ और शहरी क्षेत्रों में 0.81 करोड़ दिव्यांग व्यक्ति रहते हैं)। कुल जनसंख्या के मामले में भी, 69% ग्रामीण क्षेत्रों से हैं जबकि शेष 31% शहरी क्षेत्रों में रहते हैं।
  • पुरुषों और महिलाओं में दिव्यांग आबादी का प्रतिशत क्रमशः 2.41% और 2.01% है। अखिल भारतीय स्तर पर और साथ ही विभिन्न सामाजिक समूहों द्वारा विभाजित रूप में, संगत जनसंख्या में दिव्यांग व्यक्तियों का अनुपात महिलाओं की तुलना में पुरुषों का अधिक है।
  • 2001-2011 के दौरान, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में और पुरुषों और महिलाओं में भी दिव्यांग व्यक्तियों की संख्या में वृद्धि देखी गई। इस अवधि के दौरान दिव्यांग व्यक्तियों की जनसंख्या का अंश कुल जनसंख्या के साथ-साथ पुरुष और महिला जनसंख्या में भी बढ़ गया।
  • कुल जनसंख्या में दिव्यांग व्यक्तियों का प्रतिशत 2001 में 2.13% से बढ़कर 2011 में 2.21% हो गया। ग्रामीण क्षेत्रों में, 2001 में 2.21% से बढ़कर 2011 में 2.24% हो गया, जबकि शहरी क्षेत्रों में, इस अवधि के दौरान, यह 1.93% से बढ़कर 2.17% हो गई। इस अवधि के दौरान पुरुषों और महिलाओं के बीच भी इसी प्रकार की प्रवृत्ति देखी गई।
  • 2001-2011 के दौरान दिव्यांग जनसंख्या में दशकीय प्रतिशत परिवर्तन 22.4 है, जबकि कुल जनसंख्या के लिए, दशकीय प्रतिशत परिवर्तन 17.7 है।
  • भारत में, 20% दिव्यांग व्यक्ति चलने-फिरने में अक्षम हैं, 19% दृष्टि बाधित दिव्यांग हैं, और अन्य 19% श्रवण बाधित दिव्यांग हैं। 8% एकाधिक दिव्यांगता वाले व्यक्ति हैं।
  • सभी प्रकार की दिव्यांगताओं से प्रभावित लोगों में पुरुषों की संख्या अधिक है।
  • पुरुष दिव्यांग व्यक्तियों में, 22% चलने में दिव्यांग हैं, 18% देखने / सुनने प्रत्येक में दिव्यांग हैं, जबकि 8% एकाधिक दिव्यांगता से पीड़ित हैं। महिला दिव्यांग के मामले में, 20% देखने / सुनने प्रत्येक में दिव्यांग हैं, 18% चलने में दिव्यांग हैं और 8% एकाधिक दिव्यांगता से पीड़ित हैं।
  • दिव्यांग व्यक्तियों की संख्या 10-19 वर्ष के आयु वर्ग में सबसे अधिक (46.2 लाख) है।
  • दिव्यांग जनसंख्या का 17% 10-19 वर्ष के आयु वर्ग में है और 16% 20-29 वर्ष के आयु वर्ग में हैं।
  • अखिल भारतीय स्तर पर कुल दिव्यांग व्यक्तियों में वृद्ध (60+ वर्ष) दिव्यांग 21% हैं।
  • पुरुष और महिला दोनों दिव्यांग व्यक्तियों के आयु वर्ग में दिव्यांग व्यक्तियों का प्रतिशत 10-19 वर्ष के आयु वर्ग में सबसे अधिक है, इसके बाद 20-29 वर्ष के आयु वर्ग हैं।
  • दिव्यांग पुरुषों में, 18% वृद्ध (60 वर्ष से अधिक आयु) हैं जबकि महिला दिव्यांग में 23% वृद्ध हैं।
  • 0-19 वर्ष के आयु वर्ग में कुल दिव्यांग व्यक्तियों में से 20% श्रवण बाधित हैं और 18% दृष्टि बाधित दिव्यांग हैं। 9% बहु-दिव्यांग हैं।
  • 20-39 वर्ष के आयु वर्ग के दिव्यांग व्यक्तियों में 22% व्यक्ति चलने-फिरने में अक्षम हैं और 18% सुनने में अक्षम हैं। 6% बहु-दिव्यांग हैं।
  • 40-59 वर्ष के आयु वर्ग के दिव्यांग व्यक्तियों में 23% लोग चलने-फिरने में अक्षम हैं और 19% देखने में अक्षम हैं। 5% बहु-दिव्यांग हैं।
  • वृद्ध दिव्यांग व्यक्तियों में, चलने में दिव्यांगता (25%), दृष्टि में (25%) और सुनने में (12%) प्रमुख हैं। 12% बहु-दिव्यांग हैं।
  • कुल बच्चों में से 1.24% (0-6 वर्ष) दिव्यांग हैं। कुल बालकों में दिव्यांग बालकों का प्रतिशत 1.29% है और बालिकाओं के लिए यह आंकड़ा 1.19% है।
  • कुल पुरुषों में दिव्यांग पुरुषों का अनुपात अखिल भारतीय और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के अनुपात से अधिक है। यही पैटर्न (0-6) साल के बच्चों के मामले में भी देखा गया है।
  • सभी उम्र के लिए कुल जनसंख्या में दिव्यांग व्यक्तियों का अनुपात ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए अधिक है, जबकि बच्चों के लिए, शहरी क्षेत्रों में वह अधिक है।
  • दिव्यांग बच्चों (0-6 वर्ष) में से 23% में सुनने में अक्षमता, 30% देखने में और 10% चलने में अक्षमता वाले है। दिव्यांग बच्चों में से 7% बहु-दिव्यांग हैं। बालक और बालिका दिव्यांग व्यक्तियों में एक समान पैटर्न देखा गया है।
  • 5-19 वर्ष की आयु के 61% दिव्यांग बच्चे शैक्षणिक संस्थान में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
  • शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे 5-19 वर्ष की आयु के दिव्यांग बच्चों में, 57% बालक हैं।
  • दिव्यांग बच्चों (5-19 वर्ष) की स्कूल में उपस्थिति की दर ग्रामीण क्षेत्रों (60%) की तुलना में शहरी क्षेत्रों में (65%) अधिक है।
  • सभी दिव्यांग बालिकाओं (5-19 वर्ष) में, 60% शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जबकि दिव्यांग बालकों  में 62% शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
  • बहु-दिव्यांगता वाले 54 प्रतिशत दिव्यांग बच्चों ने कभी भी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश नहीं लिया। साथ ही, मानसिक रोग से ग्रस्त 50% बच्चों ने कभी भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश नहीं लिया।
  • 2011 की जनगणना से पता चला है कि देश के कुल परिवारों में से 8.3% (207.8 लाख) में दिव्यांग व्यक्ति हैं, जिनमें से 71% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। दिव्यांग व्यक्तियों वाले कुल परिवारों में से लगभग 99.34% परिवार सामान्य परिवार हैं, 0.42% परिवार संस्थागत हैं और 0.24% बेघर परिवार हैं।
  • कुल दिव्यांग जनसंख्या में से लगभग 55% (1.46 करोड़) साक्षर हैं।
  • पुरुष दिव्यांग जनसंख्या में से 62% साक्षर हैं और महिला दिव्यांग व्यक्तियों में 45% साक्षर हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में, 49% दिव्यांग साक्षर हैं जबकि शहरी क्षेत्रों में, दिव्यांग जनसंख्या में साक्षर का प्रतिशत 67% है।
  • कुल दिव्यांग व्यक्तियों में, 45% निरक्षर हैं। दिव्यांग जनसंख्या के 13% ने मैट्रिक / माध्यमिक शिक्षा प्राप्त की है लेकिन वे स्नातक नहीं हैं और 5% स्नातक और उससे ऊपर हैं। दिव्यांग साक्षरों में लगभग 8.5 प्रतिशत स्नातक हैं।
  • पुरुष दिव्यांग व्यक्तियों में, 38% निरक्षर हैं। दिव्यांग पुरुष जनसंख्या के 16% मैट्रिक / माध्यमिक शिक्षा प्राप्त हैं, लेकिन वे स्नातक नहीं हैं और 6% स्नातक और उससे ऊपर हैं। पुरुष दिव्यांग साक्षरों में लगभग 9% स्नातक हैं।
  • महिला दिव्यांग व्यक्तियों में, 55% निरक्षर हैं। 9% दिव्यांग महिला आबादी मैट्रिक / माध्यमिक शिक्षा प्राप्त है लेकिन स्नातक नहीं हैं और 3% स्नातक और उससे ऊपर हैं। महिला दिव्यांग साक्षरों में लगभग 7.7% स्नातक हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में दिव्यांग महिलाओं में निरक्षरता अधिक थी।

भारत में लिंग और निवास के आधार पर दिव्यांग व्यक्तियों की साक्षरता स्थिति की तुलना - जनगणना, 2011 (आँकड़े % में)। 

 

शिक्षित 

अशिक्षित 

ग्रामीण 

शहरी 

ग्रामीण 

शहरी 

व्यक्ति 

49

67

51

33

पुरुष 

58

72

42

28

महिलाएँ 

37

61

63

39

 

  • शहरी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों का शैक्षिक स्तर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में पुरुषों और स्त्रियों दोनों का बेहतर है।
  • शहरी क्षेत्रों में, कुल दिव्यांग व्यक्तियों में से 67% साक्षर हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 49% साक्षर हैं। शहरी क्षेत्रों में 20% के पास मैट्रिक / माध्यमिक स्तर, लेकिन स्नातक से नीचे की शिक्षा है और 10% स्नातक और उससे ऊपर हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में, सम्बन्धित आँकड़े क्रमशः 10% और 2% हैं।
  • शहरी क्षेत्रों में दिव्यांग व्यक्तियों में से जो साक्षर हैं, उनमें से 15% स्नातक हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में उनमें से केवल 5% ही स्नातक हैं।
  • अखिल भारतीय स्तर पर कुल दिव्यांग व्यक्तियों में से 36 प्रतिशत कामगार हैं। पुरुष दिव्यांग व्यक्तियों में, 47% कार्यरत हैं और स्त्री दिव्यांग व्यक्तियों में, केवल 23% कार्यरत हैं।
  • ग्रामीण भारत में, 25% स्त्री दिव्यांग काम कर रही हैं, जबकि शहरी भारत में, यह आंकड़ा 16% है।
  • दिव्यांग व्यक्तियों में से श्रमिकों में, 31% खेतिहर मजदूर थे।

 

भारत में दिव्यांग कामगारों का वितरण - जनगणना, 2011 

कुल

किसान (सीएल)

कृषि मजदूर 

घरेलू उद्यमों में  (एचएचआई)

अन्य 

97,44,386

22,74,322

29,77,272

4,35,053

40,57,739

%

23

31

4

42

 

  • 0-14 वर्ष के आयु वर्ग में प्रत्येक 25 दिव्यांग बच्चों में से एक कार्यरत है, जबकि 15-59 वर्ष के आयु वर्ग में 50% दिव्यांग जनसंख्या कार्यरत हैं।

 

भारत में कुल दिव्यांग व्यक्तियों में सम्बन्धित आयु वर्ग के अनुसार कामगार, मुख्य कामगार और सीमांत कामगार का अनुपात - जनगणना 2011 

 

 

दिव्यांग

कामगार  (डब्ल्यूपीआर)

मुख्य कामगार 

सीमांत कामगार 

कुल 

36.3

26.0

10.3

0-14

4.1

1.8

2.3

15-59

50.5

36.9

13.6

60+

28.3

19.3

9.0

आयु नहीं लिखी गई है 

37.5

26.2

11.3

डब्ल्यूपीआर – कामगार जनसंख्या अनुपात 

 

  • 2011 की जनगणना के अनुसार, दिव्यांग गैर-कामगार 1.7 करोड़ हैं, उनमें से 46% पुरुष और 54% स्त्री थीं।
  • कुल दिव्यांग गैर-कामगारों में, लगभग 46% 15-59 वर्ष के आयु वर्ग में, 31% 0-14 वर्ष के आयु वर्ग में और 23% 60+ वर्ष के हैं। पुरुष दिव्यांग गैर-कामगारों में, 42% 15-59 वर्ष के आयु वर्ग के थे, जबकि 49% स्त्री दिव्यांग गैर-कामगार इस आयु वर्ग की थीं। जबकि पुरुष और स्त्री दिव्यांग गैर-कामगार दोनों के लिए, दिव्यांग गैर-कामगारों की हिस्सेदारी 60+ वर्ष के आयु वर्ग की तुलना में 0-14 आयु वर्ग में अधिक है, स्त्रियों के लिए अंतर कम है।
  • प्रत्येक दो दिव्यांग गैर-कामगारों में से एक अपने परिवार पर निर्भर है। पुरुष दिव्यांग गैर-कामगारों में, लगभग 33% विद्यार्थी हैं, जबकि इसी श्रेणी की महिलाओं की संख्या 22% है।
  • दिव्यांग गैर-कामगारों में, सभी प्रकार की दिव्यांगताओं के लिए, आश्रितों का प्रतिशत सबसे अधिक है उसके बाद मानसिक बीमारी को छोड़कर, विद्यार्थियों और घरेलू कार्य करने वालों का है, जहाँ घरेलू कार्यों में लगे दिव्यांग व्यक्तियों का प्रतिशत विद्यार्थियों की तुलना में अधिक है।
  • दृष्टिबाधित दिव्यांगता वाले दिव्यांग गैर-कामगारों में, 42.7% आश्रित हैं और 28% विद्यार्थी हैं; श्रवण बाधित दिव्यांग व्यक्तियों में 38.7% आश्रित हैं और 32.5% विद्यार्थी हैं।
  • वाक दिव्यांगता वाले दिव्यांग गैर-कामगारों के मामले में, 33.5% आश्रित हैं जबकि 37.2% विद्यार्थी हैं, और चलने में दिव्यांग व्यक्तियों में 49.8% आश्रित हैं और 19.7% विद्यार्थी हैं।
  • मानसिक मंदता वाले दिव्यांग गैर-कामगारों में, 57.7% आश्रित हैं और 24.5% विद्यार्थी हैं, जबकि मानसिक बीमारी वाले दिव्यांग व्यक्तियों में 66.6% आश्रित हैं और 9.3% विद्यार्थी हैं। इस श्रेणी में बहु-दिव्यांगता वाले व्यक्तियों में, 65.9% आश्रित हैं और 15% विद्यार्थी हैं।

 

भारत में दिव्यांगता के प्रकार और प्रमुख गैर-आर्थिक क्रियाकलापों के आधार पर दिव्यांग गैर-कामगार -जनगणना, 2011

दिव्यांगता का  प्रकार

कुल  (मिलियन )

प्रमुख गैर-आर्थिक गतिविधि (%)

विद्यार्थी 

घरेलू कार्य 

आश्रित 

पेंशनर 

किराया भोगी 

भिखारी, घुमंतू , आदि 

अन्य 

कुल दिव्यांग गैर-कामगार

17.1

27.2

15.3

45.7

5.5

0.2

0.4

5.6

दृष्टिबाधित 

3.1

28.0

17.3

42.7

6.7

0.2

0.4

4.7

श्रवणबाधित 

3.0

32.5

18.9

38.7

4.9

0.2

0.2

4.6

वाकबाधित 

1.2

37.2

20.0

33.5

3.4

0.2

0.2

5.4

चलने में असमर्थ 

3.4

19.7

13.4

49.8

8.8

0.3

0.6

7.4

मंद बुद्धि 

1.2

24.5

9.6

57.7

2.1

0.2

0.5

5.4

मानसिक बीमारी 

0.6

9.3

11.9

66.6

2.8

0.2

1.0

8.2

कोई अन्य 

2.9

37.4

17.7

35.4

3.2

0.2

0.3

5.8

बहु-दिव्यांगता 

1.7

15.0

7.3

65.9

6.8

0.2

0.6

4.3

  • कुल दिव्यांग व्यक्तियों में से 46.87% वर्तमान में विवाहित हैं, जबकि 41.72% ने कभी विवाह नहीं किया और उनमें से 10.29% विधुर / विधवा हैं।
  • 15+ वर्ष आयु वर्ग के कुल दिव्यांग व्यक्तियों में, वर्तमान में 59% विवाहित हैं और 13% विधुर / विधवा हैं। पुरुष दिव्यांग व्यक्तियों में, वर्तमान में 62% विवाहित हैं और 6% विधुर हैं, जबकि महिला दिव्यांग व्यक्तियों के लिए, सम्बन्धित आंकड़े क्रमशः 54% और 13% हैं।